YADAV KAMAL JEET SINGH

Tuesday, September 17, 2019

अब कौन तेरे होठों से लाली चुराएगा...श्रृंगार रस की कविताएं कमल जीत सिंह शिकोहाबादी द्वारा रचित

अब कौन तेरे होठों से लाली चुराएगा ?

अब कौन तेरे होठों से लाली चुराएगा-2 ,
जो चोर इसका था वो अब मिल न पाएगा,
याद तुझे भी सताएगी उसकी -2
तेरे बिना वो भी कहॉं चैनो-सुकून पाएगा ।
अब कौन तेरे………………………………. ।
लगाती थी जब तू होठों पे लाली,
लगती थी उसको बड़ी ही तू प्यारी ,
अब किसको तू ये अपनी लाली दिखाएगा,
जो चोर ………………………………. ।
तेरे होठों की लाली का था वो दीवाना ,
तेरे-उसके प्यार को ना समझेगा जमाना ,
तडपेगी तू भी ,और वो भी घबराएगा ,
अब तुझसे शायद वो मिल भी न पाएगा ।
अब कौन तेरे…………………………….. ।
तेरे बिन वो जिएगा ,पर जी न पाएगा
मिलने को तड़पेगा तू भी,पर मिल न पाएगा,
उसे नशा हो गया है, तेरे होठों की लाली का,
भला बिन नशा किए , नशेड़ी जिंदा रह पाएगा ।
अब कौन तेरे……………………………….. ।
लगाती तुम रहना होठों पर लाली प्रिये ,
रखना उसे याद जब तक तू जिए ,
ईश्वर ने चाहा तो वो दिन भी आएगा,
ये चोर फिर से तेरी लाली चुराएगा ।-2-2
By YADAV KAMAL JEET SINGH
कमल जीत सिंह शिकोहाबादी
स० अ० बेसिक शिक्षा विभाग, जनपद बदायूं


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