YADAV KAMAL JEET SINGH

Saturday, September 12, 2020

आखिर कैसे तेरा प्यार पाऊँ

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https://youtu.be/RqPeb3B-lbI

कविता का शीर्षक :

  आखिर कैसे तेरा प्यार पाऊँ



मैं सोचता हूँ , आखिर कब समझेंगे आप मेरी हकीकत ,

एक वो तुम्ही तो थे ,जिससे थी मुझे बेपनाह मोहब्बत ।


तुम्हें क्या फर्क पड़ता है ,कि अकेले मैं कैसे जीता हूँ ,

तुम्हें तो हर बात मजाक लगती है,जबकि मैं हकीकत कहता हूँ।


तुम तो खुद पागल कहकर मेरा मजाक उडाते हो ,

मैं हंसता हूँ अपनी बेवकूफी पर, और तुम मुस्कराते हो ।


मजाक ही तो है जिंदगी ,मैं खुद भी एक मजाक हूँ ,

मजाक था मेरा प्यार ,और मेरे जस्बात भी मजाक हैं ।


मेरे साथ हँसती है , ना दिखा ये दिखावा मुझको ;

मैं जानता हूँ तू खुश है ,छोडकर अकेला मुझको ।


मैं रोता नहीं हूँ , लेकिन अंदर से खुश भी तो नहीं ;

माना जिंदा हूँ अब तक,पर जीने की अब कोई वजह भी तो नहीं ।


अब चीखूं-चिल्लाऊं ,विनती करूँ या गुहार लगाऊं ,

आखिर तेरा प्यार पाने को,कितना खुद की नजरों में गिर जाऊँ ।


दुनियाँ को तू दोष देता है,खुद की कमियां नहीं देखता ,

गलती तो हर इंसान से होती है,पर तू खुद को समझता है देवता ।


अब मैं चाहता हूँ कि कुछ ऐसे शब्द लिख जाऊं ;

अगर आज मौत हो गई मेरी,तो कल इन शब्दों से तुझे याद आऊं ।


रचनाकार
YADAV KAMAL JEET SINGH
Shikohabadi

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https://youtu.be/RqPeb3B-lbI




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