YADAV KAMAL JEET SINGH

Thursday, September 26, 2019

उसकी आंखों के तीर... बेरोजगार युवाओं को समर्पित एक प्यारी सी कविता

           जबसे उसने आंखों से तीर चलाया है ।
( बेरोजगार युवाओं के हृदय की पीड़ा को उजागर करने वाली बेहद मनमोहक कविता : रचनाकार कमल जीत सिंह शिकोहाबादी )
जब से उसने आंखों से तीर चलाया है ,
तबसे दिल के हर कोने में वो ही समाया है ।
जबसे उसने आंखों से…………………………….. ।

सोचता हूं कि उसे खयालों से निकाल दूं
सामने वो आए तो नजर अंदाज कर दूं
लेकिन हर कोशिश पर खुद को नाकाम पाया है ।
जबसे उसने आंखों से ………………………………… ।

जब जब मैंने उसे भुलाना चाहा ,
उसका हसीं चेहरा खयालों में आया है ;
रग रग में अब वो बस गया है ऐसे ,
जैसे मेरे लिए ही उसे रब ने बनाया है ।
जबसे उसने आंखों से…………………………. ।

कभी दिल कहता है ,उसे अपना बना लूं
आंखों से उसकी अपनी आंखें लडा लूं ;
कभी दिल कहता है , मैं उसको भुला दूं
पहले अपना सफल कैरियर तो बना लूं ;
ऐसे खयालों ने पागल बनाया है ।
जब से उसने आंखों से…………………….. ।

करता हूं एक वादा आज मैं खुद से ,
निकाल दूंगा उसके खयाल अपने दिल से ;
पहले पढ़ लिख कर कुछ कर दिखाना है ,
उसकी ख्वाहिशें पूरी करने लायक खुद को बनाना है,
मेरा ये फ़ैसला मेरे दिल को भाया है ।
जब से उसने आंखों से……………………… ।

कल को जब मैं खुद से कमाऊंगा ,
अपने और उसके मम्मी-पापा को मनाऊंगा
झट-पट उससे ब्याह रचाऊंगा ,
चुन्नू और मुन्नू का पापा बन जाऊंगा ;
अपना ये सपना मैंने तुमको बताया है ।
जब से उसने आंखों से………………………. ।


रचनाकार : कमल जीत सिंह शिकोहाबादी
      स०अ० बेसिक शिक्षा परिषद ,जनपद बदायूं

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