YADAV KAMAL JEET SINGH

Wednesday, September 30, 2020

कैसे जिऊँ जि़ंदगी चैनो शुकून से

 कैसे जिऊँ जिंदगी चैनो-शुकून से

आखिर कैसे जिऊँ ए-जिंदगी तुझे चैनो-शुकून से ।

जिन्हें मैं प्यार करता हूँ , वो जीने नहीं देते ,

मैं साथ रहना चाहता हूँ उनके, पर वो रहने नहीं देते,

परेशान सा रहने लगा हूँ ,दूरियाँ बढाईं हैं उन्होंने तब से।

आखिर कैसे जिऊँ ए-जिंदगी तुझे चैनो-शुकून से ।

बचपन में जिंदगी जीने का मजा ही कुछ और था ,

चंचलता थी स्वभाव में ,और काफी शुकून था ,

ना कोई छल था और ना कोई कपट था तब जिंदगी में

अब डर लगने लगा है ,मुझे मेरे बड़े हो जाने से ।

आखिर कैसे जिऊँ ए-जिंदगी तुझे चैनो-शुकून से ।

इस जमाने के लोग मतलबी बहुत हैं , 

काम निकल जाए फिर पहचाना नहीं करते ,

जिनके लिए कभी खास हुआ करते थे हम ,

आज वो पहचान कर भी पहचाना नहीं करते ,

तंग आ गया हूँ , इस मतलबी दुनियाँ के मतलबी लोगों से ।

आखिर कैसे जिऊँ ए-जिंदगी तुझे चैनो-शुकून से ।

सोचा था जब कोई जीवन का हमसफर बनेगा ,

वो मेरी उलझनों को सुनेगा और समझेगा ,

मेरी इस जिंदगी से जंग में ,कदम से कदम मिलाकर चलेगा,

लेकिन वो भी कहाँ अलग है ,उन मतलबी लोगों से ।

आखिर कैसे जिऊँ ए-जिंदगी तुझे चैनो-शुकून से ।

अब समझ नहीं आता, जिंदगी से चाहत रखूँ या दूर हो जाऊँ,

नफरत करूँ इस दुनिया से ,या और करीब हो जाऊँ ,

अब कोई तो मुझमें जीने की आस जगा दे ,

जिंदा रहूँ या ना रहूँ , ये मुझे समझा दे ,

अब कोई उम्मीद रखूँ या ना रखूँ इस मतलबी जमाने से ।

आखिर कैसे जिऊँ ए-जिंदगी तुझे चैनो-शुकून से ।


रचनाकार

कमल जीत सिंह शिकोहाबादी

YADAV KAMAL JEET SINGH

बेसिक शिक्षा विभाग उ०प्र०, 

कार्यरत जनपद - बदायूँ

Saturday, September 12, 2020

आखिर कैसे तेरा प्यार पाऊँ

इस कविता को कमल जीत सिंह की आवाज मे सुनने के लिए लिंक पर क्लिक करें ।

https://youtu.be/RqPeb3B-lbI

कविता का शीर्षक :

  आखिर कैसे तेरा प्यार पाऊँ



मैं सोचता हूँ , आखिर कब समझेंगे आप मेरी हकीकत ,

एक वो तुम्ही तो थे ,जिससे थी मुझे बेपनाह मोहब्बत ।


तुम्हें क्या फर्क पड़ता है ,कि अकेले मैं कैसे जीता हूँ ,

तुम्हें तो हर बात मजाक लगती है,जबकि मैं हकीकत कहता हूँ।


तुम तो खुद पागल कहकर मेरा मजाक उडाते हो ,

मैं हंसता हूँ अपनी बेवकूफी पर, और तुम मुस्कराते हो ।


मजाक ही तो है जिंदगी ,मैं खुद भी एक मजाक हूँ ,

मजाक था मेरा प्यार ,और मेरे जस्बात भी मजाक हैं ।


मेरे साथ हँसती है , ना दिखा ये दिखावा मुझको ;

मैं जानता हूँ तू खुश है ,छोडकर अकेला मुझको ।


मैं रोता नहीं हूँ , लेकिन अंदर से खुश भी तो नहीं ;

माना जिंदा हूँ अब तक,पर जीने की अब कोई वजह भी तो नहीं ।


अब चीखूं-चिल्लाऊं ,विनती करूँ या गुहार लगाऊं ,

आखिर तेरा प्यार पाने को,कितना खुद की नजरों में गिर जाऊँ ।


दुनियाँ को तू दोष देता है,खुद की कमियां नहीं देखता ,

गलती तो हर इंसान से होती है,पर तू खुद को समझता है देवता ।


अब मैं चाहता हूँ कि कुछ ऐसे शब्द लिख जाऊं ;

अगर आज मौत हो गई मेरी,तो कल इन शब्दों से तुझे याद आऊं ।


रचनाकार
YADAV KAMAL JEET SINGH
Shikohabadi

Copy or clck this link to hear this poem on Youtube:

https://youtu.be/RqPeb3B-lbI




Thursday, September 26, 2019

उसकी आंखों के तीर... बेरोजगार युवाओं को समर्पित एक प्यारी सी कविता

           जबसे उसने आंखों से तीर चलाया है ।
( बेरोजगार युवाओं के हृदय की पीड़ा को उजागर करने वाली बेहद मनमोहक कविता : रचनाकार कमल जीत सिंह शिकोहाबादी )
जब से उसने आंखों से तीर चलाया है ,
तबसे दिल के हर कोने में वो ही समाया है ।
जबसे उसने आंखों से…………………………….. ।

सोचता हूं कि उसे खयालों से निकाल दूं
सामने वो आए तो नजर अंदाज कर दूं
लेकिन हर कोशिश पर खुद को नाकाम पाया है ।
जबसे उसने आंखों से ………………………………… ।

जब जब मैंने उसे भुलाना चाहा ,
उसका हसीं चेहरा खयालों में आया है ;
रग रग में अब वो बस गया है ऐसे ,
जैसे मेरे लिए ही उसे रब ने बनाया है ।
जबसे उसने आंखों से…………………………. ।

कभी दिल कहता है ,उसे अपना बना लूं
आंखों से उसकी अपनी आंखें लडा लूं ;
कभी दिल कहता है , मैं उसको भुला दूं
पहले अपना सफल कैरियर तो बना लूं ;
ऐसे खयालों ने पागल बनाया है ।
जब से उसने आंखों से…………………….. ।

करता हूं एक वादा आज मैं खुद से ,
निकाल दूंगा उसके खयाल अपने दिल से ;
पहले पढ़ लिख कर कुछ कर दिखाना है ,
उसकी ख्वाहिशें पूरी करने लायक खुद को बनाना है,
मेरा ये फ़ैसला मेरे दिल को भाया है ।
जब से उसने आंखों से……………………… ।

कल को जब मैं खुद से कमाऊंगा ,
अपने और उसके मम्मी-पापा को मनाऊंगा
झट-पट उससे ब्याह रचाऊंगा ,
चुन्नू और मुन्नू का पापा बन जाऊंगा ;
अपना ये सपना मैंने तुमको बताया है ।
जब से उसने आंखों से………………………. ।


रचनाकार : कमल जीत सिंह शिकोहाबादी
      स०अ० बेसिक शिक्षा परिषद ,जनपद बदायूं

तुझ पर एक प्यारी सी कविता : रचनाकार कमल जीत सिंह शिकोहाबादी

yadavkamaljeetsingh.blogspot.com          तुझ पर एक प्यारी सी कविता

काश एक प्यारी सी कविता तुझ पर मैं लिख पाऊं,
जाते जाते इस दुनियां में तेरा नाम अमर कर जाऊं ।
काश एक ……………….…………………… ।

तेरे हुस्न पर , तेरे जिस्म पर
तेरी नजाकत पर ,तेरी चाहत पर
चेरी चंचलता पर , तेरी चपलता पर
तेरी इस मुस्कराहट पर ,तेरी उस घबराहट पर
तेरे पल पल के क्रियाकलापों पर,कुछ ऐसा बयां कर पाऊं
कि जाते जाते इस दुनियां………………… ।

मैं लिख तो दूंगा तेरी हर अदा को एक कागज पर,
मगर कुछ पल मेरे सामने तुम्हें बैठना होगा ;
मेरे दिल से निकले विचारों का सामना करना होगा ;
मैं चाहता हूं, तेरे सामने तेरी तारीफ कर पाऊं
जाते जाते इस दुनियां में…………………….. ।

तेरा गोरा बदन , तेरी बहकती चाल
तेरी हर एक अदा ,तेरा अलग सा अंदाज
तेरी नशीली आंखें , तेरा वो मुझसे प्यार
ऐसे हजारों अफसाने ,इस दुनियां से कह जाऊं
जाते जाते इस दुनियां में……………………….. ।

कल को जब तू मेरे साथ नहीं होगा ,
इस दुनियां में तेरा और मेरा वजूद नहीं होगा ;
उन दिनों हमें कोई याद भी नहीं करेगा ,
उन दिनों में भी , तुझे अमर कर पाऊं ;
काश एक प्यारी सी कविता………………………… ।
जाते जाते इस दुनियां में…………………………….. ।

रचनाकार : कमल जीत सिंह शिकोहाबादी
        स०अ० बेसिक शिक्षा परिषद ,जनपद बदायूं





Wednesday, September 25, 2019

उसके चेहरे का वो काला तिल...

   उसके चेहरे का काला तिल
उसके चेहरे का वो काला तिल -2
मुझे ना जाने क्यों अपनी ओर खींचता है;
मैं-मैं नहीं चाहता उसे छूना -2
फिर भी उसे चूमने को दिल करता है ।
उसके चेहरे………………………………………… ।

शायद-शायद उन्हें भी खबर नहीं है
उनका वो तिल कितनों को घायल करता है
वो तो बस इतराते मुस्कराते हुए चलते हैं
पर उनका तिल,हम आशिकों पर गोली सा वार करता है ।
उसके चेहरे का…………………………………….. ।

मुझे जैसा व्यक्ति -मुझ जैसा सज्जन व्यक्ति
जो अब हसीनाओं से दूर रहता है ; 
पर-पर ना जाने क्यों ,
देखकर उसे मेरा दिल आहें भरता है ।
उसके चेहरे …………………………………….. ।

कभी-कभी आ जाते हैं वो पास मेरे
शायद-शायद उन्हें भी अच्छा लगता है
भर लेना चाहता हूं मैं भी उन्हें अपने आगोश में-2
पर इस बेदर्द समाज के जुल्मों से डर लगता है।
उसके चेहरे…………………………………………………. ।

मैं-मैं जानता हूं-2
कि मैं उसका शहजादा नहीं बन सकता
इस बेदिल समाज के कायदा कानून नहीं तोड़ सकता
फिर भी मेरा पागल दिल -2
उसे ख्वाबों की मल्लिका बनाना चाहता है ।
उसके चेहरे ……………………………………………. ।

मैं-मैं जानता हूं कि ये मुमकिन न हो पाएगा
इस बेदर्द समाज को हमारा प्यार रास न आएगा
दो जाति-धर्मों का बताकर हमें मार दिया जाएगा
हमारा पवित्र प्रेम जलाकर राख कर दिया जाएगा
ऐसे खयालों से भी डर लगता है ।
उसके चेहरे …………………………………………… ।

मैं-मैं तो उनसे बेइंतहा मोहब्बत करता हूं
उसके साथ मरना नहीं बस जीना चाहता हूं
उसे इस दिल की दिलरुबा बनाना चाहता हूं
पर-पर ,इस जन्म में ये मुमकिन न हो पाएगा
ये बुजदिल समाज आशिकों की पीड़ा न समझ पाएगा।
पूछूंगा मैं मरके ईश्वर से एक दिन -2
दो जाति धर्म के लोगों में प्यार क्यों जगाता है ।

उसके चेहरे का ……………………………………….. ।
मैं-मैं नहीं चाहता……………………………………….. ।


Composed by:
 YADAV KAMAL JEET SINGH
कमल जीत सिंह शिकोहाबादी



Thursday, September 19, 2019

अब मैं भी तुझे भूल जाऊंगा ....श्रृंगार रस की कविताएं कमल जीत सिंह शिकोहाबादी द्वारा रचित

अब मैं भी तुझे भूल जाऊंगा ।



ठुकरा के मेरा प्यार , तुझे जाना है तो जा,

अब मैं भी तुझे भूल जाऊंगा । -2
यदि तू जी सकती है मेरे बिन -2
तो कैसी भी ये जिंदगी मैं गुजार ही जाऊंगा ।
ठुकरा के मेरा……………………….. ।

मैं -मैं जानता हूं तू किसी और की अमानत है -2

तेरे दिल में मेरे लिए नहीं,बस उसी के लिए चाहत है,
अब मैं भी तेरे आगे नहीं गिड-गिडाऊंगा ,
ठुकरा के मेरा………………………….. ।

तू क्या समझती है-2


 तेरे बिना मैं जी नहीं पाऊंगा,
अभी मैं थोड़ी सी भी पीता नहीं हूं -2,
शायद तेरे बाद शराब में डूब जाऊंगा ।
ठुकरा के मेरा…………………………….. ।

शायद तेरे बाद मैं शराब में डूब जाऊंगा-2 ,

अपनी ये हस्ती तेरे नाम कर जाऊंगा,
यदि-यदि शराब भी ना डुबा सकी मुझे अपने आगोश में-2
तो मैं टूटे दिलवालों का कवि बन जाऊंगा -2 ।
ठुकरा के मेरा……………………………….. ।

जाने से पहले एक बात ध्यान से सुन ले -2

तू मेरे बिना मर-मर के जिएगा,
और मुझे भी मरता हुआ छोड़ जाएगा ।
यदि-यदि कल को कुछ हो गया मुझे -2
तो क्या तू खुद को मांफ कर पाएगा ।
ठुकरा के मेरा………………………….. ।

By  YADAV KAMAL JEET SINGH

कमल जीत सिंह शिकोहाबादी
       स०अ० बेसिक शिक्षा विभाग, जनपद बदायूं

Tuesday, September 17, 2019

अब कौन तेरे होठों से लाली चुराएगा...श्रृंगार रस की कविताएं कमल जीत सिंह शिकोहाबादी द्वारा रचित

अब कौन तेरे होठों से लाली चुराएगा ?

अब कौन तेरे होठों से लाली चुराएगा-2 ,
जो चोर इसका था वो अब मिल न पाएगा,
याद तुझे भी सताएगी उसकी -2
तेरे बिना वो भी कहॉं चैनो-सुकून पाएगा ।
अब कौन तेरे………………………………. ।
लगाती थी जब तू होठों पे लाली,
लगती थी उसको बड़ी ही तू प्यारी ,
अब किसको तू ये अपनी लाली दिखाएगा,
जो चोर ………………………………. ।
तेरे होठों की लाली का था वो दीवाना ,
तेरे-उसके प्यार को ना समझेगा जमाना ,
तडपेगी तू भी ,और वो भी घबराएगा ,
अब तुझसे शायद वो मिल भी न पाएगा ।
अब कौन तेरे…………………………….. ।
तेरे बिन वो जिएगा ,पर जी न पाएगा
मिलने को तड़पेगा तू भी,पर मिल न पाएगा,
उसे नशा हो गया है, तेरे होठों की लाली का,
भला बिन नशा किए , नशेड़ी जिंदा रह पाएगा ।
अब कौन तेरे……………………………….. ।
लगाती तुम रहना होठों पर लाली प्रिये ,
रखना उसे याद जब तक तू जिए ,
ईश्वर ने चाहा तो वो दिन भी आएगा,
ये चोर फिर से तेरी लाली चुराएगा ।-2-2
By YADAV KAMAL JEET SINGH
कमल जीत सिंह शिकोहाबादी
स० अ० बेसिक शिक्षा विभाग, जनपद बदायूं


हर पल तुझे याद करता हूं..श्रृंगार रस की कविताएं कमल जीत सिंह शिकोहाबादी द्वारा रचित

हर पल तुझे याद करता हूं ।
हर पल मैं तुझे याद किया करता हूं ,
सोते जागते तेरा नाम लिया करता हूं ।
मैं तुझसे दूर रहूं ,चाहे रहूं पास
तुझसे मिलने की हरपल रहती है आस,
तेरे ही खयालों में डूबा हुआ रहता हूं ।
हर पल ……………………………………………. ।
भूलना तो चाहा तुझे, मगर भुला न सका
तेरी तस्वीर को ,दिल से मिटा न सका
तेरी उम्मीद तेरा ,इंतज़ार किया करता हूं ।
हर पल ……………………………………………. ।
दर्द बढ़ता है दिल का ,तेरी रुसवाई से
तन्हा रोया करता हूं , तेरी बेवफ़ाई से ,
रोज मरता हूं मैं , रोज जिया करता हूं ।
हर पल ……………………………………………. ।
याद आती है तेरी मुझको तो शामो-सुबह
नींद भी आती नहीं सारी सारी रात भर
दगा किया है जिसने ,उसी पे यकीं करता हूं ।
हर पल ……………………………………………. ।
मेरी हॅंसती हुई ,आंखों को देकर आंसू
क्या मिला है तुझे , मुझे ये बता दें तू
बेवफा है तू, ये सोचके रोया करता हूं ।
हर पल ……………………………………………. ।

By YADAV KAMAL JEET SINGH
यादव कमल जीत सिंह शिकोहाबादी
स० अ० बेसिक शिक्षा विभाग ,जनपद बदायूं


क्या मेरे बिना खुश रह पाओगे...श्रृंगार रस की कविताएं कमल जीत सिंह शिकोहाबादी द्वारा रचित



क्या मेरे बिना तुम खुश रह पाओगे .....

नज़रें वो मुझसे चुराने लगे...श्रृंगार रस की कविताएं कमल जीत सिंह शिकोहाबादी द्वारा रचित

नजरें वो मुझसे चुराने लगे हैं ।
नजरें वो मुझसे चुराने लगे हैं,
शायद वो मुझको भुलाने लगे हैं ।
मिले थे वो हमसे पहली दफा जब,
दिल को वो तबसे भाने लगे हैं ।
नज़रें वो मुझसे.............…

पल में वो हॅंसते हैं, पल में रूढ़ जाते हैं,
नाराज़ जब भी हो,तो Sad Songs बजाते हैं,,
मनाता हूं जब उन्हें ,झठ से मान जाते हैं,
उनकी इस अदा पर हम मरने लगे हैं ।
नजरें वो मुझसे……………………..…।

एक दिन अधूरा मिलन हुआ हमारा,
फिज़ा जगमगाई हसीं था नजारा,,
छिप छिपके अब तो हम मिलने लगे हैं,
प्यार से प्यारी बातें करने लगे हैं -2 ।
नजरें वो मुझसे……………………………।
बस कुछ दिन का साथ है हमारा,
बेचैन हम दोनों ,न मिलता किनारा,,
मजबूर वो भी हैं और मैं भी हूं दिल से,
शायद ना होगी अब मुलाकात फिर से ।
जुदाई के डर से हमतो डरने लगे हैं ।
नजरें वो मुझसे……………………………।
कल जब वो मुझसे दूर चले जाएंगे ,
मेरा चैन और सुकून ,साथ ले जाएंगे,,
दिल मेरा तड़पेगा उनकी ही चाहत में ,
शायद वो भी तडपेंगे मेरी उल्फत में ।
आंखों से आंसू अब तो आने लगे हैं ।
नजरें वो मुझसे……………………………। By YADAV KAMAL JEET SINGH
यादव कमल जीत सिंह शिकोहाबादी